वैज्ञानिकों की नई खोज , उत्तराखंड में भंगजीरा के बीज के तेल से बन रहे ओमेगा कैप्सूल
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले भंगजीरा के बीज का इस्तेमाल चटनी या मसाले तक सीमित नहीं रहा। अब सगंध पौध केंद्र सेलाकुई की ओर से विकसित की गई भंगजीरा की नई प्रजाति कैफेमा बीज के तेल से ओमेगा कैप्सूल बन रहे हैं।भारत में अभी तक मछली के तेल और कॉड लीवर ऑयल से ओमेगा कैप्सूल बनाए जाते हैं, लेकिन अब शाकाहारियों के लिए ओमेगा कैप्सूल का विकल्प मिला है।
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पहाड़ों में स्थानीय निवासी भंगजीरा के बीज का इस्तेमाल चटनी बनाने और मसाले के रूप में किया जाता है।भंगजीरा के औषधीय महत्व को देखते हुए सगंध पौध केंद्र सेलाकुई (कैप) को नई प्रजाति विकसित करने में कामयाबी मिली, जो ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर है। साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट व अन्य गुण कॉड लीवर ऑयल के बराबर हैं।
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कैप के वैज्ञानिकों ने पर्वतीय क्षेत्रों में 12 अलग-अलग स्थानों पर भंगजीरा के बीज एकत्रित कर आठ साल तक शोध किया।इसके बाद अब नई प्रजाति कैफेमा तैयार की। इसके बीज से ओमेगा-3 की मात्रा 65 प्रतिशत है। इस प्रजाति को यूएस पेटेंट प्राप्त हो चुका है। जो देश में भंगजीरा की किसी प्रजाति पर मिला पहला पेटेंट है। सगंध पौध केंद्र ओमेगा कैप्सूल बनाने के लिए कई फार्मा कंपनियों के साथ अनुबंध करने की तैयारी कर रहा है।भंगजीरा की खेती चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड समेत अन्य एशियाई देशों में की जाती है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लोग अपने इस्तेमाल के लिए भंगजीरा का उत्पादन करते हैं, लेकिन भंगजीरा के बीज का मूल्य संवर्धन करने से अब सगंध पौध केंद्र की ओर से किसानों को भंगजीरा की व्यावसायिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा, जिससे किसानों को आमदनी बढ़ सके।
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भंगजीरा बीज के तेल में फैटी ऑयल ओमेगा की मात्रा अधिक है, जो शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इसे साथ ही रक्त के थक्के रोकने, पाचन, कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, नवजात शिशु के दिमाग का विकास, त्वचा, बालों की पोषकता का विकास, एलर्जी को कम करने व अल्जाइमर में लाभदायक है।राज्य में पाई जाने वाली वनस्पति संपदा को किस तरह से मॉडर्न रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस पर सगंध पौध केंद्र शोध कर रहा है। इसका परिणाम है कि भंगजीरा की नई प्रजाति तैयार कर तेल से ओमेगा कैप्सूल बन रहे हैं, जो पूरी तरह से शाकाहारी हैं। अभी तक भारत में मछली के तेल और कॉड लीवर ऑयल से ओमेगा कैप्सूल तैयार किए जा रहे हैं। इसका इस्तेमाल शाकाहारी लोग नहीं करते हैं।
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