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उत्तराखंड की लोक प्रसिद्ध गायिका कमला देवी का सोनचडी गाना कोक स्टूडियो पर हुआ रिलीज

उत्तराखंड की लोक प्रसिद्ध गायिका कमला देवी का सोनचडी गाना कोक स्टूडियो पर हुआ रिलीज

उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जनपद के गरुड़ क्षेत्र के लखनी गांव की रहने वाली लोक गायिका कमला देवी का सोनचडी गाना कोक स्टूडियो पर हुआ रिलीज़ हो गया है और उन्होंने इस गाने के जरिए अपनी आवाज का जादू एक बार फिर से बिखेर दिया है।

उत्तराखंड संगीत जगत मे बहुत सारी ऐसी प्रसिद्ध लोक गायिकाएं हैं जो अपनी प्रतिभा और हुनर के जरिए अपनी आवाज का जादू पूरे देश में बिखेर रही हैं और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने का प्रयास लगातार कर रही है और अपने हुनर को ऊंचे मुकाम पर पहुँचा रही है। आज हम आपको राज्य की एक ऐसी ही प्रसिद्ध लोक गायिका से रूबरू करवाने वाले हैं जो अपनी प्रतिभा का हुनर भारत के कोक स्टूडियो में बिखेर रही हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं बागेश्वर जनपद के गरूड़ क्षेत्र के लखनी गांव निवासी कमला देवी की जिन्होंने सोनचडी गाने मे अपनी मधुर आवाज दी है।

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बता दें की इस गाने मे उन्होंने नेहा ककड और दिग्विजय के साथ कोलैब किया है। दरअसल यह गाना पहाड़ों की प्रसिद्ध प्रेम गाथा राजुला मालू शाही पर आधारित है जिसे आज कोक स्टूडियो ने जारी कर दिया है। इस गाने को उत्तराखंड के अलावा देश के कोने-कोने से भी भरपूर प्यार मिल रहा है। इसके साथ ही कमला देवी को बधाई देने वालों का कांटा लगा हुआ है इस कड़ी में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कमला देवी को अपने इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे प्लेटफार्म के जरिए शुभकामनाएं दी है।

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बता दें कि कोक स्टूडियो टीवी पर चलने वाला लाइव म्यूजिक शो है जो विश्व भर के ऐसे तमाम उभरते कलाकारों को मंच देता है जो अपनी संस्कृति को अपनी सुरीली आवाज में संजो रहे हैं और यह दुनिया भर में सराहा जाने वाला एक प्रसिद्ध मंच है जो हमेशा से लोक संगीत को प्रोत्साहित करता आ रहा है।

राजुला और मालू की प्रेम गाथा पर आधारित गाना

कमला देवी ने इस गाने में राजुला और मालू का जिक्र किया है आपको बता दें की राजुला और मालू पहाड़ का एक प्रेमी जोड़ा था। मालू राजा का बेटा था और राजुला भोट ( भोटिया समाज़ की बेटी) थी। इनकी शादी बचपन में ही कर दी गई थी लेकिन बड़े होने के पश्चात मालू की मां उनके मिलन में काफी अड़चन पैदा करती है यहां राजुला के घर वाले सोचते हैं कि मालू के पिता उनसे किया वादा भूल गए हैं और वह राजुला की शादी कहीं और कर देते हैं। तब राजुला से अलग रहकर मालू नहीं रह पाया और उसने सारा राज पाठ छोड़कर राजुला कर संयासी बन गया। आखिरकार गुरु गोरखनाथ की मदद से वह राजुला को अंत में पा ही लेता है।