पहाड़ की पीड़ा : वरुणावत पर्वत के बफर जोन में रहने वाले परिवार होंगे विस्थापित
उत्तरकाशी: वर्ष 2003 में जब वरुणावत पर्वत से भारी भूस्खलन हुआ था, जिससे उस दौरान लगभग 70 हजार घनमीटर मलबा शहर में पसर गया था। उसके बाद भूस्खलन क्षेत्र के उपचार के लिए इसकी तलहटी में तांबाखाणी से लेकर गोफियारा तक के क्षेत्र को संवेदनशील बताते हुए बफर जोन घोषित किया गया। इस जोन में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इसकी निगरानी नहीं किए जाने से बफर जोन में कच्चा व पक्का निर्माण जारी रहा।
10वीं पास युवाओं के लिए निकली 39,481 पदों पर बंपर भर्ती, जानें कैसे करें आवेदन और कितना मिलेगा वेतन
इसी का परिणाम है कि आज इस क्षेत्र में बहुमंजिला भवन खड़े हो गए हैं।वहीं, वर्तमान में भूस्खलन से खतरे की जद में आए गोफियारा क्षेत्र भी निर्माण और अतिक्रमण बढ़ा। अब भूस्खलन के बाद जिला प्रशासन यहां पूर्व में घोषित बफर जोन को लेकर गंभीर हुआ है, जिसके बाद यहां दीर्घकालीन सुरक्षा उपायों को लेकर बफर जोन में आने वाले परिवारों को विस्थापित करने योजना प्रस्तावित की गई हैवरुणावत पर्वत के बफर जोन में चिन्हीकरण करके करीब 30 से 40 परिवारों के विस्थापन की योजना है। यह काम दीर्घकालीन सुरक्षा उपाय के लिए जरूरी है।
10वीं पास युवाओं के लिए निकली 39,481 पदों पर बंपर भर्ती, जानें कैसे करें आवेदन और कितना मिलेगा वेतन
नो कंस्ट्रक्शन के साथ बफर जोन सुनिश्चित कराया जाएगा।21 साल पूर्व जब वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ था, तो तब भी बफर जोन में रहने वाले परिवारों को हटाने की योजना बनाई गई थी।तब उस दौरान गठित गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग आपदा पीड़ित समिति ने इसका कड़ा विरोध किया था। लोगों का कहना था कि बफर जोन की आड़ में उन्हें हटाने का प्रयास किया गया तो वह इसका विरोध करेंगेहलांकि उस समय निरीक्षण करने वाले भू-वैज्ञानिकों ने बफर जोन बरकरार रखने की बात कही थी।
More Stories
पिता बनते ही युवक को जाना पड़ा जेल, जानिए क्या है पूरा मामला?
पौड़ी रिखणीखाल में गुलदार की दहशत, 3 दिन बंद रहेंगे स्कूल, डीएम ने जारी किये आदेश
नगर निगम में रीजनल पार्टी का बड़ा प्रदर्शन, नगर आयुक्त को दिया ज्ञापन