उत्तराखंड के तीन वीर सपूतों को अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीरता पदक से किया सम्मानित
उत्तराखंड वीरों की भूमि है और हर सेना के ऑपरेशन में उत्तराखंड के जवान अहम भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि उनके साहस, पराक्रम और जज्बे को हर कोई सलाम करता है। इसी जज्बे की बदौलत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के पैरा कमांडो दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र, ग्रेटनेडियर्स 55वीं बटालियन के मेजर सचिन नेगी और रविंद्र सिंह रावत को शौर्य चक्र से सम्मानित किया है। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने तीनों जांबाजों को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी।
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मेजर रविंद्र सिंह रावत भारतीय सेवा की 44वीं राष्ट्रीय राइफल राजपूत में तैनात रहे हैं. उन्होंने 11 सफल ऑपरेशन और 28 आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आतंकियों को ढेर किया रविंद्र सिंह रावत मूल रूप से चमोली के रहने वाले हैं। साल 2022 में उनके द्वारा जम्मू कश्मीर में जब एक गांव में आतंकी घुस गए थे, तब उन्होंने ऑपरेशन संभालते हुए आतंकियों को ढेर किया था। इस ऑपरेशन में वह घायल भी हो गए थे रविंद्र सिंह रावत का पूरा परिवार सेवा से ही ताल्लुक रखता है।
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मेजर सचिन मौजूदा समय में राष्ट्रीय राइफल्स की 55वीं बटालियन में तैनात हैं। उनके साल 2020 के कार्यकाल को देखते हुए उन्हें शौर्य चक्र दिया गया है। सचिन ने साल 2020 में सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी। एक चेक पोस्ट पर आतंकियों ने अचानक से गोलाबारी करना शुरू कर दिया था, तब सचिन नेगी ने साहस का परिचय देते हुए आतंकियों को ढेर किया था।
श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखने वाले दिग्विजय सिंह रावत ने अपनी शिक्षा श्रीनगर से ही की है, उनके पिता श्रीनगर यूनिवर्सिटी में ही कार्य करते थे। दिग्विजय सिंह रावत साल 2014 में पैरा स्पेशल कमांडो के लिए सिलेक्ट हुए थे। वह एक अच्छे टेनिस खिलाड़ी के साथ-साथ अच्छे कमांडो भी हैं।
उनके द्वारा मणिपुर में उस नेटवर्क को ध्वस्त किया गया था, जिसके तहत एक वीआईपी को मणिपुर में निशाना बनाया जाना था, लेकिन उनकी सूझबूझ और खुफिया जानकारी की बदौलत यह घटनाक्रम घटित नहीं हो सकी। दिग्विजय सिंह रावत तमाम ऑटोमेटिक हथियार चलाने में माहिर हैं। उनके द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है।
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