Bagchhat

आपके मन को कर दे बगछट

नगरनिगम की बजाए निजी लोग कर रहे कूड़े का उठान, अफसर बने है अनजान

नगरनिगम की बजाए निजी लोग कर रहे कूड़े का उठान, अफसर बने है अनजान

देहरादून: घर-घर से कूड़ा उठवाने के लिए नगर निगम सालाना करोड़ों रुपये खर्च करता है। निगम ने कूड़ा उठान के लिए तीन कंपनियों को जिम्मा सौंपा है। इसके बाद भी घर-घर से नियमित रूप से कूड़ा उठान नहीं हो रहा है। नगर निगम की लचर व्यवस्था का फायदा कुछ लोग उठा रहे हैं। शहर के वार्डों से कुछ युवक नगर निगम की व्यवस्था के समानांतर घर-घर पहुंचकर कूड़ा ले रहे हैं। इसके एवज में प्रत्येक घर से 100-100 रुपये शुल्क वसूल रहे हैं। लोगों के घरों से उठाया कूड़ा सड़कों, खाली प्लॉटों पर फेंका जा रहा है। युवक इससे मोटी कमाई कर रहे हैं, लेकिन शहर में गंदगी फैला रहे हैं। निगम के अफसर इससे अनजान हैं। नगर निगम की अनुबंधित तीनों एजेंसियां घर-घर से कूड़ा उठान में लापरवाही कर रही हैं। इसी का फायदा उठाकर कुछ युवकों ने घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए एक समूह बनाया है।

अल्मोड़ा: काशीपुर से द्वाराहाट पहुंचे युवक की भिकियासैंण में रामगंगा नदी में डूबने से मौत

यह समूह कई वार्डों में सक्रिय है। इससे जुड़े लोग बाइक से कूड़ा लेने घर-घर दस्तक दे रहे हैं। कूड़ा उठाने के एवज में प्रतिमाह 100 रुपये शुल्क ले रहे हैं। जबकि नगर निगम की कूड़ा गाड़ी प्रतिमाह 50 से 80 रुपये शुल्क लेती है। लोगों को बाइक वालों को कूड़ा देना महंगा जरूर पड़ रहा है, लेकिन वह नियमित कूड़ा लेने आ रहे हैं। बाइक वालों को घर का कूड़ा अलग-अलग छांटकर देने की झंझट भी नहीं है। जबकि नगर निगम की कूड़ा गाड़ी नियमित नहीं आती है।

मंगलौर उपचुनाव प्रचार के दौरान हरीश रावत सब्जी और टिक्की बेचते हुए आए नजर

कुछ इलाकों में आती भी है तो ज्यादा देर तक घर के बाहर नहीं रुकती है। छंटनी कर अलग-अलग किया कूड़ा ही लेकर जाती। युवक बाइक से कूड़ा उठाकर सड़कों के किनारे और खाली प्लॉटों पर फेंक रहे हैं। इससे नगर निगम के शहर को साफ सुथरा करने की मुहिम को पलीता लग रहा है।

उत्तराखंड के रहने वाले प्रदीप खरोला बने NTA के नए डीजी , निभाएंगे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

बताया जा रहा है कि बाइक से कूड़ा उठाने वालों की निगम और अनुबंधित एजेंसियों से मिलीभगत है। जिस इलाके में बाइक वाले कूड़ा उठाने जाते हैं वहां निगम की गाड़ी नियमित नहीं जाती है। इसी वजह से बाइक वाले अपने ग्राहक बना लेते हैं। लोगों को अधिक शुल्क देकर कूड़ा देना मजबूरी बन जाती है। नगर निगम के अफसर बाइक से कूड़ा उठाने वालों से बेखबर है।