गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का आया नया गीत ‘भाबर नि जौंला’ , जानिए गीत के बारे में
सोबन सत्ये सिंह नेगी : गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है और जब भी नेगी दा का नया गीत रिलीज होता है तो दर्शक उस गीत पर ढेर सारा प्यार लुटा देते हैं.
उनके गीत लोगों के दिलों में ऐसी छाप छोड़ जाते हैं की लोग उन गीतों को बार-बार सुनते हैं और जितनी बार भी सुनते हैं एक नए गीत का एहसास उनका गीत दिलाता है.
ऐसा ही एक गीत (भाबर नि जौंला) आज यानी की 17 फरवरी को रिलीज हुआ है, जिसमें उनका साथ प्रतीक्षा बमराडा ने दिया है, इस गीत में अभिनय शैलेंद्र पटवाल और अंजलि नेगी ने किया है इसका निर्देशन का विलास नेगी ने किया है और म्यूजिक विनोद चौहान ने दिया है.
https://youtu.be/pPNMUonDvds?si=fe1G__WMFgyScZcN
यह गीत पहाड़ की एक दंपति की कहानी को प्रस्तुत करता है, जो गांव में अकेले रहते हैं.
गीत में नायक नायिका से भाबर जाने की बात करता है, और कहता है कि वहीं कुछ नौकरी कर लेंगे दो-चार रुपए कमा लेंगे और अपना गुर्जर बसर कर लेंगे, यहां पहाड़ में कुछ नहीं है. लेकिन नायिका का मन बिल्कुल भी नहीं मानता है पहाड़ों को छोड़कर जाने को और वह कहती है कि यहीं खेती बाड़ी करेंगे, गाय भैंस पालेंगे और यहीं से अपना रोजगार करेंगे.
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गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों में हमेशा से ही एक संदेश रहा है जो यथार्थ से परिपूर्ण रहता है गीत जैसे-जैसे सुनते जाते हैं वैसे-वैसे हमारे सामने भी उसे गीत का एक चित्रण आ जाता है, और कोई भी अगर गीत की अंतरा सुन ले तो गीत अपनी और खींच लेता है और पूरे गीत को सुनने पर विवश कर लेता है.
हमारे सामने पहाड़ के तमाम गांव की वह तस्वीर सामने आ जाती है जो धीरे-धीरे रोजगार के चलते खाली हो रहे हैं , उनकी तस्वीर खींची आती है.
गीत की शूटिंग टिहरी के कोठी गांव में हुई है, और यह दिखाने का प्रयास किया है कि किस प्रकार गांव खाली हो रखा है. वीडियो में देख सकते हैं कुछ खंडहर मकान भी दिखाई दे रहे हैं और गीत में स्पष्ट रूप से एक कहानी नजर आती है जो कि पलायन कर रहे गांव का प्रतिनिधित्व करती है.
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