तिलाड़ी कांड : अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले ग्रामीणों का रक्तरंजित इतिहास
पूरा विडियो देखें
इन दिनों उत्तराखंड में मूल निवास और भू कानून कोप लेकर लोग लामबंध हो रहे हैं जल जंगल और जमीन की इस लड़ाई में युवा बी ही बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं और यहाँ के जल जंगल और जमीन पर अपना पहला हक़ मांग रहे हैं , ये वही हक़ हैं जिनके लये उत्तराखंड राज्य की बुनियाद पड़ी थी , लेकिन हक़ अभी तक नहीं मिला , इसी हक से जुडी एक कहानी में आपको बताने जा रहा हूँ कहानी है एक आजाद पंचायत की, जिसने जो आगे जाकर यमुना घाटी का जलियांवाला बाग , या तिलाडी कांड बन गया
वो तिलाडी कांड जिसको याद कर क्षेत्र के ग्रामीण आज भी सिहर जाते हैं।
वो तिलाडी कांड जिसमें वनों पर अपने अधिकारों का दावा करने वालों को सबक सिखाने के लिए टिहरी के राजा नरेंद्र शाह के दीवान चक्रधर जुयाल ने यह हत्याकांड रचा. राजशाही के इस क्रूर दमन के कारण, सैकड़ों आन्दोलनकरी शहीद हुए. और , सैकड़ों धायल
कसूर सिर्फ इतना था कि टिहरी नरेश द्वारा थोपे गए वन बंदोबस्त का विरोध करना क्या था ये वन बंदोबस्त ?
इसमें ग्रामीणों के जंगलों से जुड़े हक़-हकूक समाप्त कर दिए गए. वन संपदा के प्रयोग पर टैक्स लगाया गया और पारंपरिक त्योहारों पर भी रोक लगा दी गई. एक गाय, एक भैंस और एक जोड़ी बैल से अधिक मवेशी रखने पर प्रति पशु एक रुपये सालाना टैक्स वसूला जाने लगा. इससे स्थानीय लोगों में रोष बढ़ने लगा था.
और यहीं से शुरू होता है टिहरी रियासत के निरंकुश अधिकारीयों द्वारा रक्तरंजित तिलाडी कांड
1 thought on “तिलाड़ी कांड : अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले ग्रामीणों का रक्तरंजित इतिहास”